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विनियमावली*
1. सदस्यता
इस संस्थान में निम्नलिखित श्रेणियों के सदस्य होंगे ।
1.1 सदस्यगण : इनका परिषद द्वारा चुनाव इस प्रकार किया जाएगा कि जब वे किसी एक सदस्य द्वारा प्रस्तावित एवं दूसरे द्वारा अनुमोदित किया जाएगा तथा उनके द्वारा इस प्रकार के सदस्यता शुल्क का भुगतान किया जाएगा एवं वे योग्यता के उन मापदंडों को पूरा करेंगे जैसा कि समय-समय पर बाई-लॉज में निर्धारित किया जाता है । कोई सदस्य, बाई-लॉज में निर्धारित समेकित राशि का भुगतान कर, जीवन पर्यन्त कहलाने के हकदार होंगे ।
1.2 छात्र सदस्य : संस्थान के लक्ष्यों में अभिरुचि रखने वाले कोई भी छात्र परिषद द्वारा छात्र सदस्य के रूप में नामित किया जा सकता है तथा वे बाई-ल़ज में यथा निर्धारित ऐसे शुल्क एवं अभिदानों का भुगतान करेंगे एवं ऐसी सुविधाओं का उपभोग करें ।
1.3 संस्थानिक सदस्य : संस्थान के लक्ष्यों में अभिरुचि रखने वाले संस्थानों को परिषद द्वारा सदस्य के तौर पर नामांकित किया जा सकता है, बशर्ते कि वे बाई-लॉज में यथा निर्धारित मापदंडों को पूरा करते हैं तथा इस प्रकार के अभिदानों का भुगतान करते हैं ।
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* दिनांक 26 जुलाई 1974 को आयोजित विशेष सामान्य बैठक में विनियमों को अपनाया गया एवं तत्पश्चात विनियमों के खंड 2.1, 2.2, 8 एवं 9.1 के मद 1 को दिनांक 16 जनवरी 1980 को आयोजित वार्षिक सामान्य बैठक में संशोधन / सम्मिलित किया गया एवं खंड 2.3, 2.6, 3.1, 4.2, 4.3 (नया), 5.1 (ए), 5.2 (ई) (नया), 5.3.1, 5.3.3, 5.3.4, 5.3.5, 5.3.6, 5.4, 5.5, 5.7, 5.8, 5.9, 7,8, 9.1.1, 9.1.2, 9.1.9 (नया)। 9.4 (नया)। 10.1, 11.1, 12.1, 12.3, 13.2 और 18.1 विनियमों के खंड को दिनांक 6 मार्च 1992 को एवं पुनः 29 नवंबर 1995 को आयोजित वार्षिक सामान्य बैठक में और संशोधित/सम्मिलित किया गया एवं विनियमों के खंड 5.2 (क), 5.3.3, 12.1 (एफ) , 14.3 और 17.1 को दिनांक 22 नवंबर, 2007 एवं 10 सितंबर, 2008 को आयोजित वार्षिक सामान्य बैठक में पुनः संशोधन किया गया। दिनांक 18 नवंबर, 2011 एवं दिनांक 11 नवंबर, 2019 को आयोजित वार्षिक आम बैठकों में खण्ड 8 और 6 में क्रमशः संशोधन किया गया। इसके अतिरिक्त, खंड 6 में संशोधन को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा कार्यालय ज्ञापन सं. I-12011/17/2019-आईएसआई दिनांक 21 फरवरी, 2020 के तहत अनुमोदित किया गया।
विनियमों के सभी संशोधनों को सोसायटी और नॉन-ट्रेडिंग कॉरपोरेशन, पश्चिम बंगाल ने दिनांक 17 अप्रैल 1996 को कार्यालय ज्ञापन संख्या एस/201 दिनांक 19 अप्रैल 1996 के तहत, दिनांक 26 सितंबर 2008 को कार्यालय ज्ञापन संख्या एस/247 दिनांक 30 सितंबर 2008 के तहत, कार्यालय ज्ञापन सं. एस/ 668 दिनांक 09 मार्च, 2012 के तहत एवं कार्यालय ज्ञापन सं. एस/1 दिनांक 28 जुलाई, 2020 के तहत क्रमशः रजिस्ट्रार फ़र्मों द्वारा स्वीकार एवं अभिलिखित किया गया।
2. सदस्यों की आम सभाएँ
2.1 ज्ञापन एवं विनियमावली में परिवर्तन से संबंधित पश्चिम बंगाल समितियां पंजीकरण अधिनियम 1961 में निहित उपबंधों, इनके विनियम 18 के उपबंधों एवं भारतीय सांख्यिकी संस्थान अधिनियम 1959 की धारा-7 में निहित उपबंधों की शर्तों के अनुसार संस्थान की आम सभा को ज्ञापन एवं विनियमावली में जोड़ने, परिवर्तित करने, संशोधन करने अथवा रद्द करने का अधिकार होगा ।
2.2 संस्थान प्रत्येक वर्ष कम से कम एक बार वार्षिक आम सभा की बैठक इस प्रकार आयोजित करेगी, कि दो क्रमिक वार्षिक आम सभाओं के बीच का अंतराल 15 माह से अधिक का न हो, जिसमें तुलन-पत्र, लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट सहित वार्षिक रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा, ताकि कथित वार्षिक रिपोर्ट, तुलन-पत्र एवं लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट एवं लेखाओं का लेखा परीक्षित विवरण भारत सरकार को उपलब्ध करवाया जा सके एवं विधि के अंतर्गत यथा वांछनीय प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति से नौ माह के अंदर इसे लोक सभा में प्रस्तुत किया जा सके ।
2.3 सदस्यों का आम निकाय द्वारा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा, जो कि संस्थान का कार्मिक नहीं होगा । आम निकाय द्वारा खण्ड 5.3.4 में यथा निर्धारित परिषद के लिए तीन प्रतिनिधियों का चुनाव सदस्यों में से किया जाएगा, जो कि संस्थान के कार्मिक नहीं होंगे । यह चुनाव बाई-लॉज में यथा निर्धारित कार्यपद्धति के अनुसार इस बात को छोड़कर किया जाएगा कि मतगणना अध्यक्ष द्वारा इस कार्य के लिए मनोनित सदस्य की उपस्थिति में वार्षिक आम सभा आयोजन के दिन की जाएगी, जिसमें चुनाव के परिणामों की घोषणा कर दी जाएगी । वार्षिक आम सभा के दिन 11-00 बजे पूर्वाह्न तक प्राप्त/डाले गये मत पत्रों पर इस चुनाव हेतु विचार किया जाएगा । परिषद के अध्यक्ष एवं चयनित किये गये तीन प्रतिनिधि दो वर्षों के कार्यकाल हेतु पद भार सम्हालेंगे ।
2.4 कम से कम पचास सदस्यों की लिखित मांग पर, परिषद द्वारा एक मांग आम सभा की बैठक का आयोजन मांग-पत्र में दर्ज कार्य-व्यापार के मदों के निपटान हेतु किया जाएगा । यदि मांक की तारीख से तीन महीने के दर, परिषद इस प्रकार मांग की गयी विशेष आम सभा की बैठक आयोजित करने में असफल रहता है, इस मांग आम सभा की बैठक कलकत्ता (कोलकाता) में मांग किये गये कार्य-व्यापार के निपटान हेतु आयोजित की जाएगी, बशर्ते कि इस मांग आम सभा में मांग किये गये कार्य-व्यापार के अतिरिक्त अन्य किसी विषय पर चर्चा नहीं होगी ।
2.5 संस्थान की सभी अग्म सभा बैठकों की अध्यक्षता अध्यक्ष करेंगे, जिसमें कि वे उपस्थित रहते हैं । अध्यक्ष की अनुपस्थिति में संस्थान के सभापति इसकी अध्यक्षता करेंगे । यदि सभापति भी अनुपस्थित रहते हैं तो उपस्थित सदस्यों द्वारा अपने में से किन्हीं को बैठक की अध्यक्षता करने के लिए चुनाव किया जाएगा । संस्थान के निदेशक को आईएसआई सोसाइटी का पदेन सचिव माना जाएगा तथा इसी हैसियत से वे उनका आम निकाय के किसी बैठक में उपस्थित होना वांछनीय होगा ।
2.6 संस्थान की सभी आम सभाओं के लिए कम से कम 15 दिनों की सूचना दी जाएगी । बैठक में दस सदस्यों की उपस्थिति कोरम पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा, सिर्फ मांग आम सभाओं के मामलों को छोड़कर, जिसमें कि कोरम पूरा करने के लिए साठ सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होगा । स्थगित आम सभा की बैठक के लिए कोई कोरम नहीं होगा । कोई भी मांग आम सभा स्थगति नहीं होगा ।
3. सदस्यता की समाप्ति एवं अवसान
3.1 सदस्य जिनके पास देय शुल्क एवं अभिदान किसी भी वर्ष के लिए बकाया है, वे बकाया के दौरान सदस्यता के किन्हीं अधिकारों एवं सुविधाओं का उपभोग नहीं कर पाएँगे एवं किसी ऐसे सदस्य की सदस्यता, जिनके पास बकाया दो वर्षों से अधिक समय से है, परिषद द्वारा विधिवत्त सूचना के पश्चात् समाप्त की जा सकती है । किसी सदस्य को बकाया में माना जाएगा, जब वर्ष किसी विशेष समय तक (1 जनवरी से 31 दिसम्बर) पिछले वर्ष अथवा उस वर्ष के शुल्क एवं अभिदान का भुगतान नहीं किया गया हो ।
3.2 किसी सदस्य की मृत्यु होने पर, मृत सदस्य की सदस्यता सूचना प्राप्त होने पर उनके मृत्यु की तारीख से समाप्त घोषित की जाएगी ।
4. अध्यक्ष
4.1 कोई व्यक्ति, जिन्होंने देश अथवा विशेषकर संस्थान को सांख्यिकी की अभिवृद्धि अथवा शिक्षण के किसी अन्य क्षेत्र के माध्यम से विशिष्ट सेवा प्रदान की हो, को संस्थान के सदस्यों द्वारा दो वर्षों की अवधि के लिए अध्यक्ष के तौर पर चयनित किया जाएगा ।
4.2 अध्यक्ष को परिषद की सभी बैठकों में भाग लेने का अधिकार होगा तथा जब वे उपस्थित हों, ऐसे बैठकों की अध्यक्षता करेंगे । वे दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता करें ।
4.3 अध्यक्ष की अनुपस्थिति में, सभापति अध्यक्ष के कार्यों की पूर्ति करेंगे । यदि अध्यक्ष का पद एक से अधिक वर्षों के लिए रिक्त रहता है, तो एक नये अध्यक्ष का चुनाव अध्यक्ष के शेष बचे कार्यकाल के लिए विनियम 2.3 में निर्दिष्ट एवं संगत बाई-लॉज के कार्य पद्धति के अनुसार किया जाएगा ।
5. परिषद
5.1 संस्थान में एक परिषद होगा, जो कि निम्नलिकित कार्यों के साथ इसका शासकीय निकाय होगा :
5.1 (ए) संस्थान के वैज्ञानिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों पर विचार एवं अनुमोदन करने ।
(बी) वार्षिक बजट तैयार एवं अंगीकृत करने ।
(सी) शैक्षणिक परिषद (ए.सी.) की अनुशंसाओं के आधार पर विभिन्न परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले सफल अभ्यर्थियों के लिए डिग्री, डिप्लोमा एवं प्रमाण-पत्र प्रदान करने ।
(डी) किन्हीं शैक्षणनिक एवं प्रशासनिक विषयों पर निर्णय लेने, जिसे निदेशक द्वारा प्रेषित किया गया हो।
(ई) किन्हीं अन्य गतिविधियों का उत्तरदायित्व लेने, जो कि संस्थान के लक्ष्यों के प्रति सुसंगत हो अथवा संस्थान के सुचारु प्रबंधन के लिए आवश्यक हो ।
(एफ) ऐसे समितियों, कार्य दलों, बोर्डों का गठन करने, इनके अतिरिक्त साविधिक रूप से उपबंधित ऐसे पदों का सृजन करना एवं भरना, जैसा कि संस्थान के कार्यों के उचित प्रबंधन हेतु समय-समय पर आवश्यक माना जाता है ।
(जी) सरकार से अनुदान प्राप्त करना एवं संस्थान के लिए आवश्यक अन्य श्रोतों से निधि एकत्र करना ।
5.2 उपरोक्त अधिकारों की सामान्यता के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के, परिषद के पास निम्नलिखित अधिकारी होंगे
(ए) इन विनियमावली में यथा उपबंधित बाइ-लॉज के अतिरिक्त संविधियों एवं स्थायी आदेशों को बनाना, परिवर्तित करना एवं रद्द करना ;
(बी) अचल अथवा चल संपत्ति का अधिग्रहण, धारण एवं निपटान करना एवं सभी परिसंपत्तियों का प्रबंधन करना ;
(सी) अपने अधिकारों में से किसी अधिकार की किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों, समितियों, बोर्डों अथवा ऐसे अन्य निकायों को विशिष्ट प्रस्तावों के माध्यम से प्रत्यायोजित करना, जो अंशतः अथवा पूर्णरूपेण अपने सदस्यों से बना हो ;
(डी) भारत के किसी भाग में संस्थान के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में प्रशिक्षण, अनुसंधान, परामर्श हेतु कार्य केन्द्रों का आयोजन, स्थापना करना, जारी रखना एवं अनुरक्षण करना, समाप्त करना साथ ही अन्य कार्य ;
(ई) भविष्य में आकस्मिकता के मामले में उपयुक्त व्यवस्थाओं का संग्रह एवं निर्माण करना ।
5.3 परिषद का गठन निम्नानुसार होगा :
5.3.1 खण्ड 5.5 में यथा निर्धारित सभापति का चुनाव प्रथम बैठक में होगा |
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5.3.2 सरकारी प्रतिनिधिगण (6) केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय केन्द्रीय वित्त मंत्रालय केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय/विभाग भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय |
2 1 1 1 1 |
5.3.3 वैज्ञानिक जिनकी नियुक्ति संस्थान में नहीं हुई है (9) आई.सी.एस.एस.आर (1) के प्रतिनिधि परिषद द्वारा समय-समय पर निर्धारित अर्थशास्त्री अथवा समाजशास्त्री आई.एन.एस.ए. (4) के प्रतिनिधि गणितज्ञ सांख्यिकी विशेषज्ञ (किसी शैक्षणिक/अनुसंधान संगठन के यूनिवर्सिटी प्रोफेसर अथवा प्रतिनिधि) प्राकृतिक, जैविक एवं सूचना विज्ञान के विशेषज्ञ (विशिष्ट क्षेत्र का चयन परिषद द्वारा समय-समय पर किया जाएगा) योजना आयोग हेतु प्रतिनिधि (1) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रतिनिधि (1) परिषद द्वारा बाद की बैठकों में सहयोजित वैज्ञानिक (2) |
1 1 1 2 1 1 2 |
5.3.4 संस्थान सदस्यों के निर्वाचित प्रतिनिधि, जो संस्थान के कार्मिक नहीं हैं (3) (इन सदस्यों में से एक का चुनाव उन सदस्यों में से किया जाएगा, जो आम तौर पर पश्चिम बंगाल के निवासी नहीं हैं) |
3 |
5.3.5 संस्थान के कार्मिकों के निर्वाचित प्रतिनिधिगण (2) पुस्तकालय, दस्तावेजन एवं सूचना विज्ञान विभाग अथवा कंप्यूटर एवं सांख्यिकी सेवाएँ केन्द्र के वैज्ञानिक कार्मिक अथवा किसी अन्य वैज्ञानिक प्रभागों में कार्यरत एसोशिएट प्रोफेसर अथवा समकक्षीय रैंक से कम नहीं वैज्ञानिक कार्मिक गैर वैज्ञानिक कार्मिक |
1 1 |
5.3.6 संस्थान के अधिकारीगण (पदेन) (120 निदेशक प्रभारी-प्रोफेसर : सैद्धांतिक सांख्यिकी एवं गणित अनुप्रयोग सांख्यिकी जैविक विज्ञान समाज शास्त्र कंप्यूटर एवं संचार विज्ञान भौतिकी एवं भू- विज्ञान प्रमुख सांख्यिकी गुणता नियंत्रण एवं प्रचालन अनुसंधान दिल्ली केन्द्र बंगलोर केन्द्र चेन्नई केन्द्र डीन ऑफ स्टडिज |
1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1 |
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33
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5.4 मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (अथवा जो अधिकारी अल्पावधि के लिए संस्थान के सामान्य प्रशाशन के सर्वकार्य प्रभारी में प्रधान अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं) परिषद के गैर-सदस्य सचिव होंगे ।
5.5 अपने प्रथम बैठक में, जिसमें अध्यक्ष अथवा अध्यक्ष के कोई नोमिनी अध्यक्षता करते हैं, परिषद के नव निर्वाचित/नियुक्त/नामित/पदेन सदस्यों द्वारा एक ऐसे प्रख्यात व्यक्ति का चुनाव परिषद के सभापति के रूप में करें, जो संस्थान के कार्मिक नहीं हैं । नौ सदस्यों की उपस्थिति इस बैठक के लिए कोरम होगा ।
5.6 सभापति सहित परिषद के सदस्यगण दो वर्षों की अवधि के लिए अपना कार्यकाल सम्हालेंगे ।
5.7 परिषद की बैठक के आयोजन के लिए कम से कम सात दिनों की सूचना दी जाएगी, परिषद की बैठक का आयोजन प्रत्येक चार महीने में कम से कम एक बार होगा तथा मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सीएओ) परिषद बैठकों की सूचना जारी करेंगे तथा अध्यक्ष एवं निदेशक के अनुमोदन से कार्यसूची जारी करेंगे ।
5.8 परिषद की बैठकों के लिए ग्यारह (11) सदस्यों की उपस्थिति से कोरम बनेगा ।
5.9.1 सभापति की अनुपस्थिति में, परिषद का कोई सदस्य उपस्थित सदस्यों द्वारा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए चुने जाएँगे ।
5.9.2 यदि सभापति का पद रिक्त होता है, परिषद द्वारा अपने प्रथम बैठक में, जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष अथवा उनके द्वारा नामित सदस्य द्वारा की जाती है, ऐसे प्रख्यात व्यक्ति को, जो संस्थान के कार्मिक नहीं हैं, परिषद के शेष कार्य काल के लिए सभापति के रूप में चुनाव किया जाएगा ।
5.10 उन प्रश्नों को छोड़कर, जिनके लिए विनियमावली एवं बाई-लॉज में प्रावधान उपलब्ध है, सभी प्रश्नों का निर्णय बहुमत से किया जाएगा ।
6. निदेशक
निदेशक संस्थान के प्रधान कार्यकारी अधिकारी इनके सभी शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों के प्रमुख होंगे । वे पांच वर्षों के लिए नियुक्त पूर्णकालिक एऴं वैतनिक व्यक्ति होंगे, जिन्हें इनके साथ-साथ एक पर्याप्त संकाय पद प्रस्तावित होगा, जिसे उनके निदेशक पद की समाप्ति पर अंगीकार करने का विकल्प होगा । निदेशक संस्थान के प्रशासनिक कार्य-व्यापार के लिए परिषद के नियंत्रण के साथ उत्तरदायी होगा । वे व्यवसायिक एवं विधिक लेन-देन में भी संस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगे, संस्थान के पक्ष में संस्थान की सभी निधियों को प्राप्त एवं संवितरण करेंगे साथ ही संस्थान के पक्ष में सभी आवश्यक कागजातों पर हस्ताक्षर करेंगे, बशर्ते कि बाई-लॉज एवं परिषद के निर्देशानुसार अन्यथा उपबंधित हो, यदि कोई हो । संस्थान द्वारा अथवा संस्थान के पक्ष में दायर किये जाने वाले सभी मुकदमा, निदेशक के नाम से ही दायर किया जाएगा तथा संस्थान के विरूद्ध लाये गये प्रत्येक मुकदमे में निदेशक संस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगे ।
निदेशक का मुख्यालय कलकत्ता (कोलकाता) होगा ।
निदेशक, कुछ वरिष्ठ संकाय के साथ परामर्श और परिषद के अध्यक्ष के अनुमोदन के तहत, नियुक्ति की तिथि से अधिकतम तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए अधिकतम दो उप निदेशकों का चयन कर सकते हैं, जिसे दो और वर्षों तक विस्तार किया जा सकता है। उप निदेशक का कार्यकाल, सामान्य तौर पर, निदेशक के कार्यकाल के साथ-साथ समाप्त होना चाहिए। उप निदेशक समय-समय पर निदेशक द्वारा सौंपे गए अधिकारों और कर्तव्यों के अनुसार कार्य निर्वहन करेंगे एवं निदेशक के प्रति उत्तरदायी होंगे।
7. प्रभारी-प्रोफेसर/प्रभाग-प्रमुख/केन्द्र प्रमुख
परिषद द्वारा किसी व्यक्ति को वैज्ञनिक प्रभागों के प्रभारी-प्रोफेसर के रूप में नियुक्त की जाएगी, बशर्ते कि वह संबंधित वैज्ञनिक कार्मिकों के प्रभागीय समिति (डीसीएसडब्ल्यू) के सभी सदस्यों के तीन-चौथाई बहुमत द्वारा एसोशिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर एवं विशिष्ट वैज्ञानिकों की श्रेणियों में से चयनित किया जाता/जाती है एवं आगे बशर्ते कि वह दो क्रमिक कार्यकाल के लिए चयनित नहीं किया जाता है/की जाती है । चयन कार्य पद्धति का विवरण परिषद द्वारा निर्धारित किया जाएगा । यदि डीसीएसडब्ल्यू किसी निर्धारित तारीख तक तीन-चौथाई बहुमत से किसी व्यक्ति का चयन करने में असफल रहता है, परिषद द्वारा प्रभाग में कार्यरत ऊपर वर्णित श्रेणियों में से किसी व्यक्ति का चयन प्रभारी प्रोफेसर के रूप में किया जाएगा । यह नियुक्ति दो वर्षों के कार्यकाल के लिए होगा, जिसके दौरान प्रभारी प्रोफेसर निदेशक के प्रति प्रभाग में विभिन्न अनुसंधान एककों/परियोजनाओं से संबंधित गतिविधियों में सहयोगिता के लिए उत्तरदायी होंगे ।
एसक्यूसी एवं ओआर के प्रभाग प्रमुख की नियुक्ति इसी प्रकार दो वर्षों के कार्यकाल हेतु प्रभाग के तकनीकी अधिकारियों, ग्रेड-। एवं इनके ऊपर अथवा समकक्षी के श्रेणियों में से की जाएगी, जिसके कार्यकाल के दौरान प्रमुख प्रभाग के
प्रशासन के लिए निदेशक के प्रति उत्तरदायी होंगे ।
केन्द्र प्रमुख की नियुक्ति का कार्यकाल एवं तरीका बाई-लॉज में निर्धारित किया जाएगा ।
8. डीन ऑफ स्टडिज
डीन ऑफ स्टडिज, जो कि संस्थान के पठन-पाठन एवं प्रशिक्षण गतिविधियों के आयोजन के लिए निदेशक के प्रति उत्तरदायी होंगे, की नियुक्त परिषद द्वारा, दो वर्षों के का4यकाल के लिए, शैक्षणिक परिषद (एसी) द्वारा यथा प्रस्तावित,
पठन-पाठन में कार्यरत एसोशिएट प्रोफेसरों एवं समकक्ष रैंक के अन्य वैज्ञानिक कार्मिकं एवं इससे उच्च श्रेणियों में से तीन नामों की एक सूची के आधार पर की जाएगी ।
डीन ऑफ स्टडिज के परामर्श पर निदेशक आवश्यकतानुसार एसोशिएट डीन की नियुक्ति कर सकेंगे ।
9. शैक्षणिक परिषद (एसी)
9.1 संस्थान में एक शैक्षणिक परिषद होगा, जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे
9.1.1 प्रोफेसर तथा समकक्ष रैंक के अन्य वैज्ञानिक कार्मिक अथवा उच्चतर श्रेणी
9.1.2 सात प्रभागों में प्रत्येक से दो प्रतिनिधिगण, नामतः
(i)सैद्धांतिक सांख्यिकी एवं गणित
(ii)अनुप्रयोग सांख्यिकी
(iii)सामाजिक विज्ञान
(iv)जैविक विज्ञान
(v)भौतिकी एवं भू-विज्ञान
(vi)कंप्यूटर एवं संचार विज्ञान
(vii)सांख्यिकी गुणता नियंत्रण एवं प्रचालन अनुसंधान (एसक्यूसी एवं ओआर)
ऐसे प्रतिनिधियों का चयन वैज्ञानिक कार्मिकों के संबंधित प्रभागीय समितियों द्वारा किया जाएगा तथा ऐसे व्यक्तिगण
एक प्रोफेसर अथवा समकक्ष के नीचे रैंक एवं एक व्याख्याता अथवा समकक्ष के ऊपर के रैंक के रूप में पठन-पाठन एवं/अथवा
अनुसंधान में अवश्य ही संलग्न होंगे तथा वे दो वर्षों के कार्यकाल के लिए सदस्य होंगे ।
9.1.3 मुख्य पुस्ताकध्यक्ष
9.1.4 अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी शिक्षा केन्द्र (आईएसईसी) के सदस्य-सचिव
9.1.5 एसक्यूसी एवं ओआर प्रभाग के प्रशिक्षण एवं प्रोन्नयन इकाई के प्रमुख
9.1.6 सचिव, परीक्षा समिति
9.1.7 निदेशक (शैक्षणिक परिषद के अध्यक्ष के रूप में)
9.1.8 डीन ऑफ स्टडिज (शैक्षणिक परिषद के संयोजक के रूप में)
9.1.9 प्रमुख, कंप्यूटर एवं सांख्यिकी सेवा समिति (सीएसएससी)
9.2 शैक्षणिक परिषद निम्नलिखित के संबंध में परिषद के प्रति अनुशंसाएँ करेगा :
(1)निम्नलिखित सहित पठन-पाठन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम
(1)पाठ्यक्रमों को लागू करना, समापन अथवा संशोधन करना एवं आयोजित करना ;
(2)छात्रों के चयन हेतु वांछनीय योग्यता एवं कार्य पद्धति निर्धारण ;
(3)परीक्षा एवं मूल्यांकन प्रणालियां
(4)डिग्री, डिप्लोमा एवं प्रमाण-पत्रों का अवार्ढ
(2)अंतर-शास्त्रीय अध्ययनों एवं अनुसंधान का बाह्य संगठनों की सहयोगिता से संस्थान के अंदर प्रोन्नयन ।
9.3 ए.सी. की पूर्णकालिक बैठक वर्ष में कम से कम एक बार आयोजित की जाएगी । आवधिक बैठकें संस्थान के केन्द्रों में की
जा सकेगी जिसमें स्थानीय समस्याओं की दृष्टि से स्थानीय सदस्यों का समावेशन होगा ।
9.4 बाह्य छात्रों के लिए परीक्षा समिति (ईसी) शैक्षणिक परिषद (एसी) की एक उप-समिति होगी । इस समिति में कुछ बाह्य
विशेषज्ञ होंगे ।
10 वैज्ञानिक कार्मिकों की प्रभागीय समितियां
10.1 किसी प्रभाग में संलग्न सभी वैज्ञानिक कार्मिक प्रभाग के लिए वैज्ञानिक कार्मिकों की प्रभागीय समिति का गठन करेंगे ।
वैज्ञानिक कार्मिक वे होंगे, जिन्हें समय-समय पर प्रशासनिक आदेशों द्वारा परिषद के अनुमोदन से यथा परिभाषित किया गया है
। इस समिति की बैठक एकक/परियोजना-वार अनुसंधान कार्यक्रमों, बजट प्रस्तावों को तैयार करने तथा किये जा रहे कार्यक्रमों की
कार्य समीक्षा करने के लिए आयोजित की जाएगी । इसमें भागीदारी हेतु अन्य प्रभागों से विशेषज्ञ आमंत्रित किये जाएँगे । प्रभाग के
तकनीकी परामर्शदायी समिति (टीएसी) के सदस्यों को उन बैठकों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा, जहाँ/प्रभाग के
वार्षिक अनुसंधान कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जाता है एवं बजट प्रस्तावों पर विचार किया जाता है ।
11 प्रभाग
11.1 संस्थान के शैक्षणिक, वैज्ञानिक, परियोजना एवं प्रशासनिक सेवा गतिविधियों के एककों की निम्नलिखित विस्तृत
प्रभाग के रूप में वितरित किये जाएँगे :
(i)सैद्धांतिक सांख्यिकी एवं गणित
(ii)अनुप्रयोग सांख्यिकी
(iii)सामाजिक विज्ञान
(iv)जैविक विज्ञान
(v)भौतिकी एवं भू-विज्ञान
(vi)कंप्यूटर एवं संचार विज्ञान
(vii)सांख्यिकी गुणता नियंत्रण एवं प्रचालन अनुसंधान (एसक्यूसी एवं ओआर)
(viii)कंप्यूटर एवं सांख्यिकी सेवाएँ केन्द्र (सीएसएससी)
(ix)पुस्तकालय, दस्तावेजन एवं सूचना विज्ञान
(x)पठन-पाठन एवं प्रशिक्षण
(xi)प्रशासनिक सेवाएँ
11.2 परिषद को उपरोक्त प्रभाग में संस्थान की आवश्यकताओं के अनुसार समय-समय पर जोड़ने अथवा परिवर्तित करने का
अधिकार होगा तथा जब ऐसे परिवर्तन किये जाते हैं, इसके परिणाम स्वरूप परिषद एवं शैक्षणिक परिषद के संघटन में आवश्यक
परिवर्तन किया जाएगा ।
12. समितियां
12.1 संस्थान में निम्नलिखित समितियां होंगी :
(1)नीति आयोजना एवं मूल्यांकन समिति (पीपीईसी)
(2)वित्त समिति (एफसी)
(3)संपादकीय समिति (ईसी)
(4)कार्य परामर्शदायी समिति (डब्ल्यूएसी)
(5)प्रभागों की तकनीकी परामर्शदायी समितियां (टीएसी)
(6)सांख्यिकी, गणित, कंप्यूटर विज्ञान, संख्यात्मक अर्थशास्त्र एवं गुणता, विश्वसनीयता एवं प्रचालन
अनुसंधन (क्यूआर एवं ओआर) में पांच पीएचडी-डीएससी समितियां
12.2 परिषद उपरोक्त सूची में परिवर्त कर सकता है तथा अन्य समितियों, कार्यदलों अथवा बोर्डों की स्थापना संस्थान के
कार्य-व्यापार के उचित प्रबंधन के लिए समय-समय पर यथा आवश्यक कर सकता है ।
12.3 खण्ड 12.1 एवं 12.2 में संदर्भित समिति के संगठन, निर्वाचन अथवा नियुक्ति की विधि एवं कार्य परिषद के विशिष्ट
संकल्पों अथवा बाई-लॉज द्वारा समय-समय पर यथा निर्धारित होंगे, बशर्ते कि वित्त समिति परिषद में अंतर्निहित सांख्यिकी
विभाग एवं वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के दो प्रतिनिधिगण सम्मिलित होंगे । इस समितियों को ऐसे अधिकार प्राप्त होंगे, जैसा
कि परिषद द्वारा समय-समय पर उनमें से प्रत्येक के लिए प्रत्यायोजित किया गया है ।
13. संयुक्त सलाहकार समितियां
13.1 गैर-वैज्ञानिक कार्मिकों के लिए एक संयुक्त सलाहकार समिति एक अन्य वैज्ञानिक कार्मिकों के लिए होगी, जिसके कार्य
क्षेत्र में सेवा एवं कार्य की शर्तें, कर्मचारी कल्याण एवं दक्षता में अभिवृद्धि एवं कार्य मानकों से संबंधित सभी विषय सम्मिलित होंगे,
यद्यपि बशर्ते कि (i) भर्ती, पदोन्नति एवं अनुशासन के संबंध में परामर्श सामान्य नीतियों के विषय तक ही सीमित होगा, एवं (ii)
वैयक्तिक मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा ।
13.2 गैर वैज्ञानिकों के लिए समिति में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे :
(1)निदेशक (अध्यक्ष)
(2)मुख्य प्रशासनिक अधिकारी तथा निदेशक द्वारा प्रशासन के प्रतिनिधित्व के लिए चयनित 3 अन्य
सदस्यगण
(3)भारतीय सांख्यिकी संस्थान कर्मचारी संगठन के चार प्रतिनिधि
मुख्य प्रशासनिक अधिकारी समिति के सचिव होंगे । समिति के सदस्य एक वर्ष के कार्यकाल हेतु सदस्यता ग्रहण करेंगे
।
13.3 वैज्ञानिक कार्मिकों हेतु समिति में निम्नलिखित होंगे
(1)निदेशक (अध्यक्ष)
(2)निदेशक द्वारा नामित संस्थान के दो वैज्ञानिक
(3)भारतीय सांख्यिकी संस्थान कर्मचारी संगठन के दो प्रतिनिधि
दो में से एक वैज्ञानिक निदेशक द्वारा सचिव के रूप में नामित होंगे । समिति के सदस्यों का कार्यकाल दो वर्षों की
अवधि के लिए होगा ।
13.4 परिषद के अंतिम प्राधिकार की शर्त पर वे विषय जिनमें संयुक्त सलाहकार समिति से सहमति होती है, प्रचालन में आ
जाएंगे । असहमति के मामले में समितियों द्वारा विषयों के समाधान हेतु एक उपसमिति गठित की जाएगी, जिसके असफल रहने
पर इसे परिषद को निर्णय अथवा विवाचन हेतु संदर्भित किया जाएगा ।
14. सहयोजित एवं सम्बद्ध संस्थानें
14.1 परिषद, समय-समय पर किसी ऐसे अन्य संगठन अथवा संस्थान के साथ सहयोगिता अथवा सहभागिता के आधार पर
कार्य करने का निर्णय ले सकता है, जो पूर्व रूप से विद्यमान हो अथवा जिसकी स्थापना होने वाली हो तथा ऐसे किसी संगठन
अथवा संस्थान को इन विनियमावली के उद्देश्य से एक सहयोजित संस्थान के रूप में घोषित कर सकता है ।
14.2 इस संस्थान एवं सहयोजित संस्थान अथवा संगठन के बीच संबंध ऐसे होंगे, जैसा कि परिषद द्वारा समय-समय पर
निर्णय लिया जाता है, तथापि विनियमावली अथवा बाई-लॉज द्वारा निर्धारित शर्तें लागू होंगी ।
14.3 अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी शिक्षा केन्द्र एवं सॉफ्ट संगणन अनुसंधान केन्द्र : कलकत्ता स्थित संस्थान में कार्यरत एक
राष्ट्रीय सुविधा, परिषद द्वारा अन्यथा निर्णित किये जाने तक, विनियम 14.1 के अर्थों के अधीन सहयोजित संस्थान के रूप में
माना जाएगा ।
14.4 परिषद किसी भी समय किसी संस्थान, संगठन अथवा इस उद्देश्य से संलग्न अन्य प्राधिकार अथवा कार्य की सम्बद्धन
प्रदान कर सकता है, जो अंशतः अथवा पूर्णरूपेण इस संस्थान के लक्ष्यों के अनुरूप हो तथा इस प्रकार के सम्बद्धन दिये जाने पर
संबंधित संस्थान/संगठन अथवा प्राधिकार इस संस्थान से इन विनियमावली के उद्देश्यों के लिए तब तक सम्बद्ध माना जाएगा, जब
तक कि परिषद द्वारा इस प्रकार का सम्बद्धन वापस नहीं लिया जाता है ।
14.5 इस संस्थान से सम्बद्धन प्राप्त संस्थाओं, संगठनों अथवा प्राधिकारों द्वारा उपभोग किये जाने वाले अधिकार एवं
सुविधाएं परिषद के विशिष्ट संकल्पों, विनियमावली अथवा बाई-लॉज द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट उपबंधों के अनुसार होंगे ।
15. सम्पत्तियां, बैंकिंग व्यवस्थाएँ
15.1 संस्थान में संलग्न सभी सम्पत्तियाँ एवं सभी बैंक लेखाएं, दस्तावेज, प्रतिभूति आदि संस्थान के नाम में होंगे तथा
परिषद में निहित होंगे ।
15.2 संस्थान के बैंक एकाउन्ट्स का प्रचालन एवं संस्थान के नाम में अवस्थित प्रतिभूतियों का पृष्ठांकन, स्थानान्तरण
अथवा अन्यथा पार क्रमन संस्थान के निदेशक द्वारा अथवा परिषद द्वारा समय-समय पर ऐसा करने के लिए प्राधिकृत दो अथवा
अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जाएगा ।
16. विघटन
16.1 संस्थान का विघटन एवं विघटन पश्चात् संस्थान की संपत्तियों का निपटान पश्चिम बंगाल समितियों का पंजीकरण
अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार, साथ ही भारतीय सांख्यिकी संस्थान अधिनियम, 1959 में यथा उपबंधित सरकार का
अनुमोदन प्राप्त करने के बाद होगा ।
17. बाई-लॉज लागू किया जाना अथवा परिवर्तित किया जाना
17.1 प्रस्तावित सांविधियां एवं स्थायी आदेश, जिन्हें बाई-लॉज में अंतर्भुक्त किया जाना है अथवा इसमें किये जाने वाले
परिवर्तनों को परिषद के सभी सदस्यों को उस बैठक के आयोजन की तारीख से कम से कम 7 दिन पूर्व सूचित किया जाएगा, जिसमें
यह विचार हेतु प्रस्तावित है, एवं इनका अंगीकरण सदस्यों के दो-तिहाई मतों द्वारा पारित किये जाने पर ही किया जाएगा । ऐसे
सभी बाई-लॉज अथवा इसमें परिवर्तन परिषद के बाद होनेवाली बैठक में रिपोर्ट किया जाएगा ।
17.2 यदि अध्यक्ष अथवा निदेशक यह मानते हैं कि कोई आकस्मिकता है, परिषद, अध्यक्ष द्वारा अनुमोदन के साथ किसी
बाई-लॉज को परिषद की बाद में होने वाली बैठक में इसकी पुष्टि होने के पूर्व भी प्रभाव-सम्पन्न कर सकता है । ऐसे मामले में,
विषय को यथा संभव यथाशीघ्र परिषद में प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।
18. विनियमावली लागू किया जाना अथवा परिवर्ति किया जाना एवं सहयोजन का ज्ञापन
18.1 विनियमावली में प्रस्तावित परिवर्तन (विनियम 11.2 में उपबंधित प्रावधानों को छोड़कर) एवं संस्थान के ज्ञापन,
संस्थान के सभी सदस्यों को संस्थान की वार्षिक आम सभा की बैठक के कम से कम तीन माह पूर्व सूचित किया जाएगा ।
अधिसूचना के साथ-साथ प्रस्तावित परिवर्तनों पर मत दान हेतु मत पत्र भी भेजे जाएंगे, जिसे निर्धारित तारीख तक अवश्य लौटा
दिया जाए । मतदान के परिणामों की घोषणा वार्षिक आम सभा में की जाएगी तथा सिर्फ उन्हीं परिवर्तनों को अंगीकृत किया
जाएगा, जिसे तीन-चौथाई सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाएगा ।
18.2 विनियमावली अथवा ज्ञापन में किसी प्रस्तावित परिवर्तन के लिए संशोधनों के प्रस्तुतीकरण हेतु कार्यपद्धति बाई-लॉज
द्वारा निर्धारित होगी, एवं, इस उद्देश्य को लिए आवश्यक बाई-लॉज का अंगीकरण लंबित रहने तक यह परिषद के विशिष्ट संकल्पों
द्वारा निर्धारित किया जाएगा ।
19. आनुषांगिक व्यवस्थाएं
19.1 जब कोई विनियम, ज्ञापन अथवा बाई-लॉज जोड़ा जाता है, हटाया जाता है, अथवा यहाँ दिये गये प्रावधानों के अनुसार
संशोधित किया जाता है, तो परिषद एक संकल्प के द्वारा एक तारीख तय करेगा, जिसके पश्चात् ऐसा कोई परिवर्तन प्रवृत्त होगा,
साथ ही संक्रमणकालीन व्यवस्था भी निर्धारित करेगा जो कि इसके प्रवृत्ति हेतु अनिवार्य होगा ।
19.2 विनियमावली, ज्ञापन एवं उप-नियमावली में जब कभी कोई संयोजन, विलोपन अथवा परिवर्तन किया जाता है, परिषद
को ऐसे विनियमावली, ज्ञापन एवं बाई-लॉज में जिस किसी प्रकार से पुनः संख्याकित करने का अधिकार होगा, जैसा कि यह
आवश्यक समझता है, उन आनुषांगिक परिवर्तनों को इनके संदर्भों में भी प्रदर्शित किया जाएगा ।
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