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उप-नियमावली*
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सदस्यता
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संस्थान की सदस्यता उन वयक्तियों तक प्रतिबंधित होगी, जिनके पास स्नात्कोत्तर, अथवा समकक्ष शैक्षणिक अर्हता, बी.टेक. बी.ई. एम.बी.बी.एस. एवं समकक्ष शैक्षणिक अर्हता हो, तथा इस सोसाइटी के उद्देश्यों में अभिरुचि रखता हो ।
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इस संस्थान के सदस्यों के लिए सदस्यता शुल्क निम्नानुसार होगा :
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(क) |
भारत के निवासी सदस्यगण |
रू 500.00 |
(ख) |
भारत के निवासी वरिष्ठ नागरिक सदस्यगण (60 वर्षो से उपर) |
रू 250.00 |
(ग)
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यूएसए, केनाडा, मेक्सिको, साउथ अमेरिका, यूरोप, जापान, आस्ट्रेलिया, चीन, न्यूजीलैंड में निवासी सदस्यगण |
यूएस डॉलर 90.00 |
(घ) |
उपरोक्त ग के अतिरिक्त अन्य देशों में निवासी सदस्यगण |
रू 750.00 |
(ड़) |
संस्थानिक सदस्य |
रू 2000.00 |
(च) |
भारत में निवासी कोई सदस्य, जो साधारण सदस्य से जीवन-पर्यन्त सदस्य बनना चाहतें हैं |
रू 2500.00 |
(छ) |
भारत में निवासी कोई सदस्य, जो साधारण सदस्य से जीवन-पर्यन्त सदस्य बनना चाहतें हैं |
यूएस डॉलर 800.00 |
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(क) भारत में निवासी किसी सदस्य को जो जीवन पर्यन्त सदस्य बनने को इच्छुक हैं, रू 2500.00 का शुल्क भुगतान करना होगा, जिसमें रू 50 प्रतिवर्ष के रूप में उन वर्षो के लिए छुट प्राप्त होगा जिसमें वार्षिक साधारण प्रतिदान दे दिया गया है, बशर्ते कि कम से कम पांच वर्षो की अवधि के लिए सदस्यता की निरन्तरता के बाद यह अधिकतम रू 750.00 तक होगा ।
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(ख) विदेश में निवासी किसी सदस्य को, जो जीवन-पर्यन्त सदस्य बनने को इच्छुक हैं, यूएस डॉलर 800.00 का शुल्क भुगतान करना होगा, जिसमें यूएस डॉलर 20.00 प्रति वर्ष के रूप में उन वर्षो के लिए छुट प्राप्त होगा जिसमें साधारण वार्षिक प्रतिदान दे दिया गया है, बशर्ते कि कम से कम पांच वर्षो की अवधि के लिए सदस्यता की निरंतरता के बाद यह अधिकतम यूएस डॉलर 300.00 तक होगा ।
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किसी सदस्य को निम्नलिखित सुविधाएं प्राप्ता होंगी :
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(क) प्रत्येक सदस्य को संख्या की एक श्रृंखला मुफ्त प्राप्त होगी, यदि वह इसके लिए लिखित अनुरोध करता है/करती है ।
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* उपनियम 5.1, 5.2, 3 एवं 5.4 का संशोधन दिनांक 6 अक्टूबर 1986 को आयोजित परिषद की बैठक में किया गया था ।
उपनियम 1.2, 1.3, 1.4, 1.5, 1.6 एवं 4.5 का संशोधन 18 अगस्त 1994 एवं 12 सितम्बर 1994 को आयोजित परिषद बैठक में किया गया था ।
उपनियम 1.4 (बी), 1.7 (नया), 3.2.1, 3.3.1, 3.4.1, 3.6.1, 3.6.2 (नया), 3.6.3 (पुन:संख्यांकित), 3.7 (नया), 3.7.1 (नया), 3.7.2 (नया), 5.3, 6.5.3 (नया), 6.6, 6.6.1, 6.6.3, 7 (नया) एवं 8 (नया) का संशोधन/अनुप्रवेशन दिनांक 12, 13 अगस्त 1990 एवं 20 नवम्बर, 2003 को आयोजित परिषद बैठक में किया गया था
उपनियम 1.1, 1.2, 1.3 (ए), 1.3 (बी), 1.4 (ए), 1.4 (बी), 1.5 एवं 1.6 (ए) का संशोधन/अनुप्रवेशन दिनांक 22 फरवरी, 2009 को आयोजित परिषद बैठक में किया गया था ।
(ख) उन्हें संस्थान दारा समय-समय पर आयोजित सम्मेलनों, सेमिनारों एवं संगोष्ठियों में ऐसे आवश्यक प्रभारों को भुगतान करके भाग लेने का अधिकार होगा, जैसा कि भागीदार के लिए देय होगा, जिसकी सूचना नोटिस-बोर्ड/वेबसाइट पर दी जाएगी ।
(ग) वह संस्थान पुस्तकालयों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग सामान्य अवधान धन जमा करके कर सकता है/सकती है ।
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कोई प्रामाणिक छात्र अथवा इस संस्थान की परीक्षाओं हेतु अभ्यर्थी अथवा उच्चतर शिक्षा के किसी मान्यता प्राप्त संस्थान के छात्र एक छात्र सदस्य के रूप में नामित होने के लिए अधिकृत होगा । कोई छात्र सदस्य रू.50.00 का एक वार्षिक प्रतिदान का भुगतान करेगा एवं निम्नलिखित सुविधाओं का उपयोग कर सकता है :
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(क) आमलोगों से प्रभारित के आधे मूल्य पर संख्या की किसी श्रृंखला को प्राप्त करना ।
(ख) संस्थान द्वारा समय-समय पर आयोजित सम्मेलनों, संमिनारों एवं संगोष्ठियों में भाग लेना ।
(ग) सामान्य अवधान धन जमा करके संस्थान पुस्तकालयों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना ।
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(क) किसी संस्थानिक सदस्य का अर्थ परिषद द्वारा अनुमोदित एक संस्थान अथवा संगठन है, जिसे संस्था के सदस्य के रूप में नामांकित किया जा सकता है । इस प्रकार से नामांकित कोई संस्थानिक सदस्य रू.2000.00 का एक वार्षिक प्रतिदान अदा करेगा ।
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(ख) संस्थानिक सदस्य संस्थान अथवा संगठन के उचित प्राधिकारी द्वारा विधिवत् नामित किसी प्रतिनिधि के माध्यम से सदस्यता के अपने अधिकारों एवं सुविधाओं का उपयोग करेगा । सदस्य-संस्थान अथवा संगठन को समय-समय पर संस्थान के निदेशक को पंजीकृत डाक के माध्यम से लिखित सूचना द्वारा अपने प्रतिनिधि को बदलने का अधिकार होगा । सदस्य संस्थान अथवा संगठन का कोई प्रतिनिधि, जिसका चुनाव संगठन के किसी प्रशासनिक अथवा अन्य निकाय अथवा संगठन अथवा संस्थान के किसी कार्यालय के लिए किया जा सकता है, ज्यों ही इस संस्थान में किसी सदस्य-संस्थान अथवा संगठन का प्रतिनिधत्व करने से वंचित हो जाते हैं, ऐसी सदस्यता अथवा पद स्वत: खो देगा । उनके परर्वती प्रतिनिधि को, तथापि ऐसी सदस्यता अथवा पद के लिए स्वत: चयनित अथवा नामित नहीं माना जाएगा ।
(ग) जीवन पर्यन्त सदस्यता का प्रावधान (उपर 1.3) संस्थानिक सदस्यों के लिए लागू नहीं होगा।
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फेलो :
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परिषद, समय-समय पर सदस्यों से प्राप्त नामांकन पर किन्हीं विशिष्ट वैज्ञानिकों को इस संस्थान के उदेश्यों को आगे बढ़ाने के प्रति उनके अवदानों की मान्यता देने के लिए फेलो के रूप में चुनाव कर सकता है । नामांकन की विधि परिषद के विशिष्ट संकल्पों द्वारा निर्धारित की जाएगी ।
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निदेशक की नियुक्ति
निदेशक को नियुक्ति परिष्द द्वारा निम्नलिखित सदस्यों से बनी चयन समिति की अनुशंसाओं पर की जाएगी :
(i) परिषद का अध्यक्ष (अध्यक्ष के रूप में)
(ii) परिषद द्वारा अनुमोदित दो विशेषज्ञ
भर्ती के पूर्व निदेशक पद की रिक्ति उचित रूप से प्रचारित की जाएगी ।
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निर्वाचन
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सभापति का चुनाव
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2.1.1 परिषद द्वारा एक व्यक्ति का नामांकन सभापति के रूप में निर्वाचन हेतु (विनियमावली के खण्ड 4.1 की शर्तो के अनुसार) उन वयक्तियों में से किया जाएगा, जिन्होंने राष्ट्र के प्रति अथवा विशेष कर संस्थान के प्रति सांख्यिकी की अभिवृद्धि अथवा शिक्षा के अन्य क्षेत्रों में अद्वितीय सेवाएं प्रदान किया है, तथा जो संस्थान का कर्मचारी नहीं है । नामांकित व्यक्ति का नाम भारत में निवासी संस्थान के सभी सदस्यों के बीच वार्षिक आम सभा की तारीख से कम से कम दो माह पूर्व परिचालित किया जाएगा । संस्थान के किन्हीं 10 सदस्य साथ मिलकर कोई वैकल्पिक नामांकन परिषद के नामांकन के परिचालन की तारीख से एक माह के अन्दर प्रस्तुत कर सकतें हैं ।
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संस्थान के सदस्यों में से परिषद में प्रतिनिधि का निर्वाचन
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3.2.1 विनियमावली के खण्ड 2 के उप खंड 2.3 के अनुसार उन सदस्यों में से परिषद के प्रति तीन प्रतिनिधियों का निर्वाचन किया जाएगा, जो इस संस्थान के कर्मचारी नहीं हैं । कोई दस सदस्य साथ मिलकर एक नामांकन निर्वाचन अधिकारी द्वारा घोषित तारीख को प्रस्तुत कर सकतें हैं ।
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अध्यक्ष का निर्वाचन
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3.3.1 नवगठित परिषद, सभापति अथवा इनके नोमिनी की अध्यक्षता में आयोजित अपने प्रथम बैठक में साधारण बहुमत द्वारा एक विशिष्ट व्यक्ति का निर्वाचन सभापति अथवा परिषद के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित नामों में से अध्यक्ष के रूप में करेगा । यदि सभापति का नोमिनी भी बैठक में उपस्थित रहने में असफल होता है, तो उपस्थित सदस्यों द्वारा अपने में से एक का चुनाव बैठक की अध्यक्षता करने के लिए किया जाएगा ।
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परिषद के प्रति संस्थान के कर्मचारियों में से प्रतिनिधियों का निर्वाचन
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3.4.1 विनियम 5.3.5 के अनुसार, परिषद में पुस्तकालय, दस्तावेजन एवं सूचना विज्ञान प्रभाग के वैज्ञानिक कार्मिकों अथवा कंप्यूटर एवं सांख्यिंकी सेवा केन्द्र अथवा अन्य वैज्ञानिक प्रभागों में एसोशिएट प्रोफेसर अथवा समकक्ष से कम रैंक के वैज्ञानिक कार्मिकों में से एक प्रतिनिधि होगा ।
3.4.2 उपर 3.4.1 में वर्णित समूहों में से प्रत्येक में कार्यरत 20 से कम नहीं व्यक्तिगण द्वारा एक प्रतिनिधि का नामांकन संगत समूह के लिए वार्षिक आमसभा के कम से कम एक माह पूर्व किया जाएगा ।
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पूर्व सहमति एवं नाम-वापसी
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3.5.1 उप-नियमावली 3.1, 3.2, 3.3, एवं 3.4 में वर्णित स्थितियों के लिए प्रत्येक नामांकन हेतु नोमिनी की पूर्व सहमति औपचारिक रूप से नामांकन प्रस्तुत करने के पूर्व अवश्य प्राप्त कर ली जाएगी । नाम वापसी हेतु एक पखवाड़ा का समय उपलब्ध होगा ।
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कार्य पद्धति
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3.6.1 सभापति, परिषद में सदस्यों के साधारण निकाय के तीन प्रतिनिधियों तथा परिषद में संस्थान के कर्मचारियों के दो प्रतिनिधियों के चुनाव हेतु नामांकन प्राप्त करने एवं निर्वाचन का संचालन करने दोनों के लिए, परिषद द्वारा संस्थान के अधिकारियों में से एक, जहां कहीं भी आवश्यक हो, एक निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी ।
3.6.2 निर्वाचन के संचालन हेतु कार्यविधि का विवरण परिषद द्वारा निर्धारित किया जाएगा ।
3.6.3 परिषद द्वारा मतों की गणना हेतु दो संवीक्षकों की नियुक्ति उन मामलों में किया जाएगा, जहां मतदान द्वारा चुनाव आवश्यक होता हो, साथ ही अन्य विवरण जहां आवश्यक हो विशिष्ट संकल्प के द्वारा निर्धारित किया जाएगा । मतदान के परिणाम की घोषणा निर्वाचन अधिकारी द्वारा वार्षिक आम सभा में की जाएगी ।
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योग्यता
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3.7.1 उपरोक्त उपखंड 3.1 एवं 3.2 के अनुसार निर्वाचन के उदेश्य से सिर्फ वैसे सदस्य भागीदारी के लिए योग्य होंगे, जो चुनाव की तारीख से कम से कम बारह माह पूर्व से सदस्य हैं तथा कैलेन्डर वर्ष के 31 जनवरी तक अथवा बाद की तारिख तक जैसा कि निर्वाचन अधिकारी घोषित करते हैं, विनियमावली के खण्ड-3 के उपखंड 31 के अनुसार कोई बकाया नहीं रखते हैं ।
3.7.2 कोई भी कार्यकर्ता परिषद में कर्मचारियों के प्रतिनिधि के रूप में अथवा एक प्रभारी-प्रोफेसर, प्रमुख, एसक्यूसी एवं ओ आर अथवा डीन ऑफ स्टडिज के रूप में अथवा शैक्षणिक परिषद में डीसीएसडब्ल्यू के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचन/चयन/नियुक्ति हेतु योग्य नहीं होंगे, यदि वह अपने उस पद के लिए निर्धारित कार्यकाल के पूर्व बहुवर्षिता के आधार पर सेवा निवृत होने वाले हैं, जिन पर उन्हें निर्वाचित/चयनित/नियुक्त किया जाना हो ।
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शाखाएं
4.1 संस्थान के परिषद के अनुमोदन पर संस्थान की कोई शाखा किसी विशिष्ट क्षेत्र में बनाई जा सकती है, बशर्ते कि संस्थान के कम से कम 20 सदस्य (व्यक्तिगत अथवा संस्थानिक), जो उस क्षेत्र के निवासी हैं अथवा सम्बद्ध हैं, ऐसा करने को इच्छुक हों ।
4.2 किसी शाखा में किसी व्यक्ति को शाखा के एसोशिएट सदस्य के रूप नामांकित किया जा सकता है (जो संस्थान का सदस्य नहीं है), बशर्ते कि वह कम से कम स्नातक हो अथवा एक तकनीकी डिप्लोमा धारक हो अथवा व्यवसायिक सांख्यिकी कार्य से संलग्न हो ।
4.3 शाखा का प्रबंधन एक कार्यकारी समिति के अंर्तगत होगा, जिसमें बारह की संख्या तक सदस्य होंगे, उनमें से तीन-चौथाई सदस्यों का अध्यक्ष एवं सचिव सहित, निर्वाचन शाखा के सदस्यों द्वारा किया जाएगा एवं शेष सदस्यों को सह-योजित किया जाएगा ।
4.4 यदि शाखा स्थित अवस्थानों पर कार्य दल स्थापित हैं, कार्यकारी समिति में एक कार्यक्रम समिति होगी, जिसके दो सदस्यों को कार्यकारी समिति द्वारा नामित किया जाएगा तथा दो सदस्य संस्थान के निदेशक द्वारा उसी क्षेत्र में कार्यरत संस्थान के अधिकारियों में हो नामित किए जाऐंगे । कार्यसमिति द्वारा अंगीकार किए गए कार्यक्रमों की सूचना निदेशक को दी जाएगी ।
4.5 शाखा से सम्बद्ध प्रत्येक सदस्य (व्यक्तिगत अथवा संस्थानिक) से प्राप्त संग्रहित वार्षिक प्रतिदान में हो रू 35/- मुख्यालय के नामे किया जाएगा जीवन-पर्यन्त सदस्यों के मामले में रू.20 प्रतिवर्ष शाखा के नामे किया जाएगा ।
4.6 परिषद द्वारा समय-समय पर यथा निर्धारित सिद्धान्तों की शर्त पर, प्रत्येक शाखा ऐसी अन्य निधियां एकत्र कर सकता है, जैसा कि यह आवश्यक मानता है, परन्तु ऐसी सभी निघियों को शाखा के लेखाओं में नियमित किया जाएगा । शाखा ऐसी निधियों का आवंटन शाखा की गतिविधियों के लिए कर सकता है, जैसा कि यह उचित मानता है । शाखा एक प्रतिनिधि परिषद की बैठकों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा, जहां इस प्रकार के आवंटन पर विचार-विमर्श किया जाएगा ।
4.7 शाखा की एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी तथा निदेशक को संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट में समावेशन हेतु अग्रेषित की जाएगी ।
4.8 प्रत्येक शाखा की लेखा की लेखा-परीक्षा प्रत्येक वर्ष शाखा द्वारा नियुक्त चार्टर्ड लेखाकार द्वारा किया जाएगा तथा लेखा परीक्षित विवरण शाखा के साधारण निकाए द्वारा विधिवत अनुमोदित करके निदेशक को प्रस्तुत किया जाएगा ।
4.9 परिषद का निर्णय सभी शाखाओं में उन सभी विषयों के लिए बन्धकारी होगा, जो कि विशेष रूप से शाखा के विशेषाधिकार पर न छोड़ा गया हो, एवं ऐसे निर्णय संबंधित शाखाओं के द्वष्टिकोण प्राप्त करने के पश्चात लिए जाऐंगे ।
4.10 वर्तमान शाखा एतद् आगे उप नियमावली द्वारा शासित होंगे ।
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किसी केन्द्र का प्रमुख
5.1 निदेशक किसी केन्द्र के प्रमुख की नियुक्ति प्रोफेसर स्तर अथवा उपर के वैज्ञानिकों में से करेंगे, जो या तो संस्थान में कार्यरत हों या संस्थान द्वारा ऐसे किसी संकाय स्थिति के लिए नियुक्त किया जा रहे हों ।
5.2 नियुक्ति निदेशक द्वारा एक समिति की अनुशंसा के आधार पर की जाएगी, जिसका गठन अध्यक्ष, निदेशक तथा परिषद द्वारा अनुमोदित एक बाह्रय विशेषज्ञ को मिलाकर होगा ।
5.3 केन्द्र के प्रमुख की नियुक्ति चार वर्षो की अवधि के लिए होगी । वह केन्द्र का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा तथा निदेशक के प्रति केन्द्र के सभी वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों के लिए उत्तरदायी होगा।
5.4 केन्द्र का प्रमुख के कार्य करने के तरीके का स्पष्टीकरण निदेशक द्वारा भविष्य में दिया जाएगा, जिसमें नियमावली, कार्य पद्धतियों साथ ही संस्थान द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों को समस्त रूप से द्वष्टिगत किया जाएगा ।
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परिषद में रिक्तियों को भरा जाना
6.1 परिषद की सदस्यता के संबंध में विनियमावली के खण्ड 5.3.2 के सिलसिलों में, यदि परिषद लगातार तीन बैठकों में सदस्यों की अनुपस्थिति से आकस्मिक अथवा अन्य किसी प्रकार की रिक्तियां सृजित हुई हों, तो रिक्तियों को भरने का प्रश्न भारत सरकार के सबंधित मंत्रालय के उपर अथवा भरतीय रिर्जव बैक का छोड़ा जाएगा, जैसा हि मामला हो ।
6.2 विनियमावली के खंड 5.3.3 के संबंध में, किसी रिक्ति को सृजित माना जाएगा, यदि कोई सदस्य परिषद की लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहता है ।
6.2.1 ऐसी रिक्तियों के संबंध में नामांकन जारी करने वाले संगठनों को सूचित किया जाएगा तथा अनुपस्थित सदस्य के स्थान पर नए नामांकन के लिए अनुरोध किया जाएगा ।
6.2.2 सहयोजित सदस्यों के संबंध में परिषद अपनी तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहने वाले सहयोजित सदस्य के स्थान पर नए नामांकन देगा ।
6.3 विनियमावली के खण्ड 5.3.4 के संबंध में, कोई रिक्ति सृजित हुई मानी जाएगी, यदि कोई निर्वाचित प्रतिनिधि परिषद की तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित होता है, अथवा सदस्य पदत्याग करता है, उसका निधन होता है अथवा अन्यथा अपंगता के कारण बैठक में उपस्थित होने में अक्षम होता है । यदि इस प्रकार से सृजित रिक्ति एक अथवा अधिक वर्ष की अवधि के लिए, निर्वाचित प्रतिनिधि की सदस्यता के कार्यकाल की समाप्ति के अंर्तगत होती है, तो सदस्य की रिक्ति को भरने के लिए नयी निर्वाचन प्रक्रिया, सहयोजनता के ज्ञापन से संबंधित विनियमावली अथवा उप-नियमावली की संगत शर्तो एवं तरीके से आरम्भ की जाएगी ।
6.4 विनियमावली के खण्ड 5.3.5 के संबंध में वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जैसी उपर विनियमावली के खंड 5.3.4 के अनुसार संस्थान सदस्यों के निर्वाचित प्रतिनिधि की रिक्ति को भरने के लिए प्रयोजनीय है, तथा परिषद में इस श्रेणी में हुई किसी भी सदस्य की रिक्ति को भरी जाएगी ।
6.5 विनियमावली के खण्ड 5.3.6 के संबंध में, निदेशक की स्थिति में सृजित रिक्ति तब मानी जाएगी, जब निदेशक उन्हें अभ्यर्पित कार्यों को करने मे वह अक्षम हो जाता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है अथवा वह संस्थान में अपनी स्थिति से पद त्याग करता है ।
6.5.1 इस प्रकार से सृजित रिक्ति परिषद द्वारा संगत उप नियमावली के अनुसार विधिवत् गठित चयन समिति की अनुशंसा पर भरी जाएगी, निदेशक की नियुक्ति लंबित रहने तक, परिषद इस रिक्ति को अस्थायी रूप से छ: माह से अधिक नही की अवधि के लिए भरेगा ।
6.5.2 चार माह से अधिक नहीं की अवधि हेतु निदेशक की अस्थायी अनुपस्थिति के मामले में, स्वयं निदेशक द्वारा स्थानापन्न व्यवस्था की जाएगी । इस अवधि से उपर के लिए स्थानापन्न व्यवस्थाएं परिषद द्वारा की जाएगी ।
6.5.3 उपरोक्त उपनियम 6.5.1 में अंर्तनिहित किसी बात के होते हुए भी, अध्यक्ष, किसी आकस्मिकता के मामले में, संस्थान के प्रोफेसर अथवा समकक्षीय वैज्ञानिक, एवं उपर के पदों में से एक स्थानापन्न निदेशक की नियुक्ति 6 माह से अधिक नहीं, की अवधि हेतु की जाएगी । इस नियुक्ति की सूचना एक माह के अंदर परिषद को दी जाएगी ।
6.6 विनियमावली के खंड 5.3.6 के संबंध में, प्रभारी प्रोफेसर, प्रमुख, एसक्यूसी एवं ओआर किसी केन्द्र का प्रमुख एवं डीन ऑफ स्टडिज की स्थितियों में कोई रिक्ति तब सृजित मानी जाएगी, जब सदस्य अपने मुख्यालय से एक वर्ष अथवा अधिक की अवधि के लिए अपनी स्थिति की कार्यकाल के दौरान दूर रहता है अथवा अन्यथा पदत्याग, मृत्यु या अन्य किन्हीं कारणों से अपना कार्य करने में अक्षम होता है ।
6.6.1 ऐसी रिक्तियों को भरने की कार्यपद्धति संस्थान के संगत विनियमावली, नियमावली एवं सहयोजनता के ज्ञापन के उपनियमावली के अनुसार होगी । तथापि, ऐसी रिक्तियों को यथा उपबंधित भरा जाना लंबित रहने तक, निदेशक स्थानापन्न व्यवस्थाएं करेगा, जिसे परिषद को अगली बैठक में सूचित किया जाएगा ।
6.2.2 पैरा 6.6 में व्याप्त मूल पदधारक, निनियमावली के अनुसार, लगातार अगले कार्यकाल के लिए पुर्ननियुक्ति हेतु योग्य होगा, परन्तु जो पदधारक रिक्ति को भरता है, वह योग्य होगा ।
6.3.3 यदि किसी प्रभारी प्रोफेसर, प्रमुख, एस क्यूसी एवं ओ आर, केन्द्र का प्रमुख अथवा डीन ऑफ स्टडिज की अनुपस्थिति की अवधि उनकी स्थिति के कार्यकाल के अंर्तगत एक वर्ष से कम होती है, तो संस्थान का निदेशक संस्थान के योग्य वैज्ञानिकों में से स्थानापन्न व्यवस्था करके सदस्य की अनुपस्थिति के कार्यकाल हेतु ऐसी रिक्तियों को भरेगा । निदेशक की इस कार्यवाई को परिषद को अभिपुष्टि हेतु प्रेषित किया जाएगा ।
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परियोजना प्रस्तावों का मूल्यांकन
7.1 वैज्ञानिक कार्मिकों की प्रभागीय समिति (डीसीएसडबल्यू) एवं प्रत्येक प्रभाग की तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) की संयुक्त बैठक, विनियमावली की धारा-10 की उपधारा 10.1 के अनुसार, के पश्चात सिर्फ टीएसी सदस्यों की एक बैठक होगी, जिसमें परियोजना प्रस्तावों पर निर्णय लिया जाएगा । टीएसी सदस्यों द्वारा किसी परियोजना प्रस्ताव के अस्वीकार किए जाने अथवा इसमे संशोधन किए जाने की इच्छा रखने के मामले में ऐसे निर्णय के कारणों का उल्लेख डीसीएसडबल्यू-टीएसी की संयुक्त बैठक में किया जाएगा, जहां संबोधित वैज्ञानिक को अपने प्रस्ताव के बचाव में पक्ष में रखने का विकल्प होगा ।
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नीति आयोजना एवं मूल्यांकन समिति
8.1 विनियमावली की उपधारा 12.1 के अनुसार नीति आयोजना एवं मूल्यांकन समिति (पीपीईसी) में परिषद के अध्यक्ष जो इस समिति के भी अध्यक्ष होंगे, एवं निदेशक, जो उपाध्यक्ष होंगे, डीजीसीएसओ, एफए, सांख्यिकी विभाग, संस्थान के बाहर से पांच विशिष्ट वैज्ञानिक तथा विभिन्न प्रभागों से तीन प्राख्यात वैज्ञानिक, जिनमें कम से कम एक मुख्यालय से बाहर के होंगे, संलग्न हांगे । इनमें से प्रत्येक सदस्यता का प्रतिधारण आरम्भिक रूप से एक वर्ष हेतु करेंगे, परन्तु एक वर्ष के पश्चात् उनकी स्थिति के रिक्त होने पर वे पूनर्नामांकन हेतु योग्य होंगे। संस्थान के अन्दर एवं बाहर से अतिरिक्त विशेषज्ञ बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किए जाएंगे, यदि समिति बैठक में उनकी विशेषज्ञता की जरूरत महसूस करती है । इसका उदेश्य समय-समय पर अनुसंधान के लिए ध्यान-केन्द्रित विषयों की पहचान करना तथा इन विषयों से संबंधित प्रमुख अनुसंधान परियोजनाओं के लिए होगा अंतर-शास्त्रीय प्रस्तावों का निर्माण करना होगा । परियोजनाएं ऐसी होनी चाहिए कि जिसमें शास्त्रों को संलग्न किया जा सके, जिसमें संस्थान विशेष रूप से समर्थ है । इन परियोजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन वर्ष में एक बार निदेशक एवं समिति के बाहय सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा । समिति की रिपार्ट वर्ष में एक बार परिषद के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी ।